आज 5 नवंबर को देव दिवाली है. देव दिवाली पर 5 अद्भुत संयोग बने हैं. आज के दिन शिव पूजा करते हैं और शाम के समय में देव दिवाली मनाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के प्रदोष काल में देव दिवाली मनाते है.
देव दिवाली का पावन पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा की शाम को मनाते हैं. देव दिवाली को देव दीपावली भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है देवों की दीपावली. भगवान शिव ने देवों को त्रिपुरासुर के आत्याचार से मुक्ति दिलाई थी, तो देवों ने काशी में गंगा घाट पर दिवाली मनाई थी. इस दिन शिव की नगरी काशी में गंगा के घाटों को दीपों से सजाया जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं और दीप जलाते हैं. इस बार देव दिवाली आज 4 नवंबर को है या कल 5 नवंबर को? दरअसल देव दिवाली के लिए कार्तिक पूर्णिमा की तिथि दो दिन है और 5 नवंबर को भद्रा भी है
देव दिवाली की तारीख
देव दिवाली की सही तारीख को जानने के लिए आपको पंचांग में कार्तिक पूर्णिमा की सही तिथि जाननी होगी. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर को रात 10:36 बजे से शुरू हो जाएगी. उस समय से कार्तिक पूर्णिमा तिथि होगी और इसका समापन 5 नवंबर को शाम में 6:48 बजे होगा.
अब देखा जाए तो 4 नवंबर को पूर्णिमा की तिथि रात में मिल रही है, पर प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के बाद का समय कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि में है. ऐसे में अब आपको 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विचार करना चाहिए.
जब दीपमालाओं से जगमगा उठता है गंगा तट
देव दिवाली के दिन वाराणसी के गंगा तट पर हर साल लाखों की संख्या में दीये जलाए जाते हैं. शाम के समय जब अमृतवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों पर अनगिनत दीप एक साथ जलते हैं तो पूरा क्षेत्र एक अलग ही आभा लिए हुए दिखाई देता है. दीपों के इस महापर्व को देखने के लिए लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं. यहां पर पहुंचने वाला हर व्यक्ति लाखों की संख्या में एक साथ जलते दीयों को अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश करता है. इस दिव्य नजारे को देखने के लिए लोग कई महीने पहले से ही होटल और नाव आदि की बुकिंग करा लेते हैं.
देव दिवाली पर किन देवी-देवताओं की करें पूजा?
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन श्री हरि ने मत्स्यावतार लिया था. कुछ लोग इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का विशेष पूजन करते हैं क्योंकि कार्तिक अमावस्या के समय श्री हरि योगनिद्रा में सोए रहते हैं और उस समय गणेश-लक्ष्मी की पूजा होती है.
देव दीपावली पर लक्ष्मीनारायण के भक्तों को दोनों को एक साथ पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है. हालांकि इस दिन प्रथम पूजनीय गणपति की विशेष पूजा भी करनी चाहिए क्योंकि अबकी बार देव दीपावली का पावन पर्व बुधवार के दिन पड़ रहा है.

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