मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। कहते हैं कि एकादशी का व्रत करने से भक्तों को श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है।
Mokshada Ekadashi 2025 Date and Niyam: एकादशी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार रखा जाता है एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हर माह में आने वाली एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ऐसे ही मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी को बैकुंठ या मौनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के शंख, गदा, चक्र और पद्मधारी रूप को दामोदर की संज्ञा दी गई है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
Hindi Newsधर्मत्योहारMokshada Ekadashi 2025: 1 दिसंबर को रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जान लें पूजा विधि और नियम
Mokshada Ekadashi 2025: 1 दिसंबर को रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जान लें पूजा विधि और नियम
मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। कहते हैं कि एकादशी का व्रत करने से भक्तों को श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है
मोक्षदा एकादशी
Mokshada Ekadashi 2025 Date and Niyam: एकादशी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार रखा जाता है एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हर माह में आने वाली एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ऐसे ही मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी को बैकुंठ या मौनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के शंख, गदा, चक्र और पद्मधारी रूप को दामोदर की संज्ञा दी गई है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
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Mokshada Ekadashi 2025: 1 दिसंबर को रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जान लें पूजा विधि और नियम
मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। कहते हैं कि एकादशी का व्रत करने से भक्तों को श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है।
Written By: Vineeta Mandal
Published : Nov 30, 2025 07:15 pm IST, Updated : Nov 30, 2025 07:18 pm IST
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मोक्षदा एकादशी 2025- India TV Hindi
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मोक्षदा एकादशी 2025
Mokshada Ekadashi 2025 Date and Niyam: एकादशी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार रखा जाता है एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हर माह में आने वाली एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ऐसे ही मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी को बैकुंठ या मौनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के शंख, गदा, चक्र और पद्मधारी रूप को दामोदर की संज्ञा दी गई है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी 2025 पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 30 नवंबर 2025 को रात 9 बजकर 29 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 1 दिसंबर को शाम 7 बजकर 1 मिनट पर होगा। मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। वहीं मोक्षदा एकादशी का पारण 2 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। पारण के लिए शुभ मुहूर्त 2 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 56 मिनट से सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। बता दें कि एकादशी का पारण शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी 2025 पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 30 नवंबर 2025 को रात 9 बजकर 29 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 1 दिसंबर को शाम 7 बजकर 1 मिनट पर होगा। मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। वहीं मोक्षदा एकादशी का पारण 2 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। पारण के लिए शुभ मुहूर्त 2 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 56 मिनट से सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। बता दें कि एकादशी का पारण शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद विधिपूर्वक विष्णु जी की पूजा करें।
मोक्षदा एकादशी के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद अपने व्रत को आरंभ करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, केला, नारियल, पंचामृत, तुलसी आदि पूजा सामग्री अर्पित करें।
भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें।
एकादशी व्रत के दिन शाम के समय पूजा-आरती के बाद ही फलाहार करें।
एकादशी के दिन करें इन नियमों का पालन
एकादशी के दिन चावल और चावल से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी के दिन किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए और क्रोध करने व झूठ बोलने से भी बचना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन तामसिक चीजों (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का सेवन न करें।
एकादशी के दिन चावल और चावल से बनी एं औचीजों का खाना वर्जित होता है।
एकादशी के दिन तुलसी को न ही छूना चाहिए और न ही तोड़ना।
एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित करना भी वर्जित होता है। पूजा के लिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़कर रख लें।

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