नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई है. यह सत्संग स्वयंभू बाबा नारायण सरकार विश्वास हरि ऊर्फ भोले बाबा ने आयोजित किया था. हादसे के बाद से बाबा फरार हैं. पुलिस उनकी तलाश में उनके ठिकानों की तलाशी ले रही है. बाबा बनने से पहले ये भोले बाबा उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे.उसे पुलिस की नौकरी से बर्खास्त किया गया था.उन पर यौन शोषण के भी आरोप लगे थे.हालांकि भोले बाबा अपने भक्तों से कहते थे कि उसने पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लिया था. वह इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में भी काम करने का दावा अपने भक्तों से करते थे.
कहां का रहने वाला है नारायण सरकार विश्वास हरि ऊर्फ भोले बाबा
नारायण सरकार विश्वास हरि ऊर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल सिंह है. वह कासगंज जिले के बहादुर नगर गांव का रहने वाले हैं.दलित परिवार से आने वाले 58 साल के सूरजपाल सिंह के तीन भाई थे. उनके सबसे बड़े भाई की मौत हो चुकी है. वहीं उनका छोटा भाई राकेश अभी भी गांव में ही रहकर खेती-बाड़ी करते हैं.
हाथरस की घटना के बाद एनडीटीवी ने उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख (डीजीपी) प्रकाश सिंह से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा को उत्तर प्रदेश पुलिस से बर्खास्त किया गया था. उन्होंने बताया कि सूरजपाल सिंह पर 5-6 केस दर्ज हैं, इनमें यौन शोषण के आरोप भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इनकी भाव-भंगिमा को देखकर कभी नहीं लगता है कि वो आईबी में काम कर चुके हैं, क्योंकि आईबी में काम करने वाला व्यक्ति कभी नहीं बताएगा कि वो आईबी में काम करता है. उन्होंने कहा कि सूरजपाल सिंह के कृत्य को देखते हुए उनके अतीत की भी जांच कराई जानी चाहिए.
आगरा में थी अंतिम तैनाती
हाथरस की घटना के बाद कुछ पुलिस अधिकारी उनके पैतृक गांव पहुंचे थे. उन्हीं में से एक ने अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि सूरजपाल ने करीब एक दशक तक उत्तर प्रदेश पुलिस में काम किया. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. उसकी अंतिम पोस्टिंग आगरा में थी. सूरजपाल ने नौकरी 1990 के दशक में ही किसी समय छोड़ दी थी.
बहादुर नगर के ग्राम प्रधान नाजिश खानम के पति जाफर अली ने अखबार को बताया, ”सूरजपाल सिंह की शादी हुई है, लेकिन उनके बच्चे नहीं हैं. पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद उसने भोले बाबा का नाम धारण कर लिया. वहीं उसकी पत्नी को लोग ‘माताश्री’ कहकर बुलाते हैं.” जाफर बताते हैं कि सूरजपाल का परिवार संपन्न था.
अपने पैतृक गांव में भी बनवाया है आश्रम
उन्होंने बताया, ”सूरजपाल ने गांव में अपनी 30 बीघे जमीन पर आश्रम बनवाया है. उनका आशीर्वाद लेने के लिए दूसरे जिलों के साथ-साथ दूसरे राज्यों से भी लोग आते हैं.उन सभी लोगों का आश्रम में ही ठहराया जाता है.” वो बताते हैं कि सूरजपाल ने पांच साल पहले गांव छोड़ दिया था. उसे डर था कि उसके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है. जाफर बताते हैं कि सूरजपाल आजकल राजस्थान में कहीं रहते हैं. पिछले साल वो गांव वापस लौटे थे और अपनी संपत्ति को ट्रस्ट के नाम कर दिया था. इस संपत्ति की देखरेख एक मैनेजर करता है.
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